संतमंडळी महाआरती
आरती संत मंडळी , हाती घेऊनि पुष्पांजळी |
ओवाळीन पंचप्राणें, यांचे चरण न्याहाळी ||धृ ||
मच्छेन्द्र गोरक्ष गैनी निवृत्तीनाथ |
ज्ञानदेव नामदेव खेचर विसोबा संत |
सोपान चांगदेव | गोरा जगमित्र भक्त |
कबीर आणि पाठकनामा | चोखा परसा भागवत ||१||
भानुदास कृष्णदास | वडवळसिद्ध नागनाथ |
बहिरपीसा मुकुंदराज | केशवस्वामी सूरदास |
रंगनाथ वामनस्वामी | जनजसवंतदास ||२||
एकनाथ रामदास | यांचा हरीपदीं वास |
गुरुकृपा संपादली | स्वामी जनार्दन त्यास |
मीराबाई मुक्ताबाई | बहिणाबाई उदास |
सोनार नरहरी हा | माळी सावतादास ||३||
रोहिदास संताबाई | जणी राजाई गोणाई |
जोगा परमानंद साल्या | शेख महंमद भाई |
निंबराज बोधराजा | माथा तयांचे पायी |
कुर्मदास शिवदास | मलुकदास कामाबाई ||४||
नारा म्हांदा गोंदा विठा | प्रेमळ दामाजीपंत |
तुकोबा गणेशनाथ | सेना नरसीमहंत |
तुलसीदास कसंबया | पवार संतोबाभक्त |
महिपती तुम्हांपाशी | चरणसेवा मागत ||५||
संत ज्ञानदेवांची आरती १
आरती ज्ञानराजा | महाकैवल्य तेजा |
सेविती साधुसंत | मेनू वेधला माझा आरती||धृ ||
लोपले ज्ञानजगी | हित नेणती कोणी |
अवतार पांढुरंग | नाम ठेविले ज्ञानी ||१||
कनकाचे ताट करी | उभ्या गोपिका नारी |
नारद तुंबरही | साम गायन करी ||२||
प्रगट गुह्य बोले | विश्व् ब्रम्हाची केले |
रामा जनार्दनीं | पायी टकची ठेलें || ३|| .आरती ||
संत ज्ञानदेवांची आरती २
जयदेव जयदेव जय ज्ञानदेवा | जिवा शिवा आदी परब्रम्ह ठेवा ||धृ ||
इंद्रायणीचे तटीं धरिला रहिवास | विश्व् तारावया लक्ष्मीनिवास |
ज्ञानेश्वररूपे धरिला निजवेष | वर्मजाणे त्या सद्गुरू उपदेश ||१||
कृष्ण एकादशी कार्तिकमासी | पंढरीनाथ आपण सनकादिकेंसी |
यात्रेलागिं येति स्वानन्दराशी| दर्शन घडे तया निजमुक्ती देसी ||२||
महिषी पुत्र केला वाचक वेदाचा | प्रतिष्ठांनी गर्व हरिला विप्राचा |
विशेष अर्थ केला भगवतगीतेचा | अजाण वृक्ष पिंपळ शोभे कनकाचा ||३||
संकळसिद्ध गणांमाजी तुं श्रेष्ठ | ज्ञानदेव अनुभवी ज्ञानावरिष्ठ |
अनुताप ज्याचा विश्व् घनदाट | मुक्तेश्वरी न धरे प्रेमाचा लोट ||४||
संत एकनाथांची आरती
आरती एकनाथा महाराजा समर्था |
त्रिभुवनी तूंचि थोर जगतगुरु जगन्नाथा || धृ||
एकनाथ हे सार वेदशास्त्राचें गुज |
संसार दुःख नाशे महामंत्राचें बीज ||१||
एकनाथ नाम घेतां सुख वाटलें चित्ता |
अंनत गोपाळदास | धणी न पुरे गाता ||२||
संत रामदासांची आरती
आरती रामदासा | भक्त विरक्ती ईशा |
उगवला ज्ञान सूर्य | उजळोनि प्रकाशा ||धृ||
साक्षात शिवांचा अवतार मारूती|
कलिमाजी तेचि जाली रामदासाची मूर्ती ||१||
विषयी दशकांचा दासबोध ग्रँथ केला |
जडजीवा उद्धरिलें नृप शिवासी तारिले ||२||
ब्रम्हचर्य व्रत ज्याचे | रामरुप सृष्टी पाहें|
कल्याण तीही लोकीं | समर्थ सद्गुरूपाय ||३||
संत नामदेवांची आरती
जयजयाजी भक्तराया | जिवलग नामया |
आरती ओवाळितां चित्तपालटे काया ||धृ||
जन्मता पांढुरंगे | जिव्हेवरी लिहिले |
शतकोटी अभांग | प्रमाण कवित्व रचिलें ||१||
घ्यावया भक्तिसुख पांढुरन्गे अवतार |
धरूनिया तीर्थमिषें केला जगाचा उद्धार ||२||
प्रत्यक्ष प्रचिती हे वाळवंट परीस केला |
हरपली विषमता द्वैतबुद्धी निरसली ||३||
समाधी महाद्वारीं श्रीविठ्ठल चरणीं |
आरती ओवाळितो परिसा कर जोडुनी ||४||
संत तुकारामांची आरती
आरती तुकारामा | स्वामी सद्गुरुधामा |
सच्चितानंद मूर्ती | पाय दाखवी आम्हां ||धृ||
राघवें सागरांत | पकषण तारिलें |
तैसे हे तुकोबांचे अभांग उदकीं रक्षिले ||१||
तुकींता तुलनेसी | ब्रम्ह तुकासी आलें |
म्हणोनि रामेश्वरें चरणीं मस्तक ठेविलें ||२||